“पुत्रेण दुहिता समा” (मनुस्मृति ९.१.३०) अर्थात – पुत्री पुत्र के समान होती है वह आत्मारूप है अतः वह पैतृक संपत्ति की अधिकारिणी है। महर्षि मनु दुनिया के प्रथम विधिवेत्ता थे जिन्होंने पुत्रों के समान पुत्री को भी माता पिता संपत्ति में अधिकार दिया इतना ही नहीं माता के धन (मातृधन) पर तो केवल पुत्री का […]
