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नारी भारतीय संस्कृति

“पुत्रेण दुहिता समा” (मनुस्मृति ९.१.३०)

“पुत्रेण दुहिता समा” (मनुस्मृति ९.१.३०) अर्थात – पुत्री पुत्र के समान होती है वह आत्मारूप है अतः वह पैतृक संपत्ति की अधिकारिणी है। महर्षि मनु दुनिया के प्रथम विधिवेत्ता थे जिन्होंने पुत्रों के समान पुत्री को भी माता पिता संपत्ति में अधिकार दिया इतना ही नहीं माता के धन (मातृधन) पर तो केवल पुत्री का […]

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नारी समाज

क्या मातृत्व स्त्री के पैरों की बेड़ी है?

लेखक – आर्य सागर फ्रांसीसी स्त्रीवादी सीमोन द बुवा ने एक बार कहा था- मातृत्व स्त्री मुक्ति की राह में बांधा है। उसी दौर में यूरोप जर्मनी में नाजी पार्टी ने एक नारा दिया- स्त्री -मुक्ति से स्त्रियों को खुद को मुक्त करना चाहिए। लोकतंत्र, नस्ल को लेकर नाजी विचारधारा अमानवीय अविकसित पुर्वाग्रह से भले […]

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