चित्त और वित्त की पवित्रता से हमारा हृदय पवित्र रहता है। हृदय की पवित्रता से विचार होता है विचार की पवित्रता से हमारी वाणी की पवित्रता बनी रहती है, उसमें मिठास रहती है और वह किसी को कटु नहीं बोलती। वाणी की पवित्रता से हमारे चारों ओर का परिवेश शुद्घ और पवित्र रहता है। यह […]
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