भारत के राजनैतिक नेतृत्व से ऐसी अपेक्षा की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उसे तो वोटों की राजनीति करनी है। मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे और चर्च में जाकर उन्हीं की पोशाक पहनना और उन्हीं की बोली बोलना आज हमारे इन राजनीतिज्ञों का शगुन हो गया है। इन धर्महीनों से राष्ट्रधर्म पालन करने की अपेक्षा करना बेमानी है। […]
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राष्ट्र भाषा हिन्दी की दुर्गति, भाग-3 भारत में संविधान के अंदर एक दर्जन से भी अधिक भारतीय भाषाओं को मान्यता प्रदान कर दी गयी है। यदि राजभाषा हिंदी अपने सही ढंग से उन्नति करती और उसकी उन्नति पर हमारी सरकारें (केन्द्रीय और प्रांतीय दोनों) ध्यान देतीं तो आज जो क्षेत्रीय भाषाई लोग अपनी-अपनी भाषाओं को […]
जिस देश की अपनी कोई भाषा नहीं होती- वह बैसाखियों पर चलता है। ऐसे देश की स्वाधीनता उधार होती है, उसकी आस्थायें उधार होती हैं, उसकी मान्यतायें और परम्परायें भी उधार होती हैं। जब ऐसी परिस्थितियां किसी देश के समाज में बन जाया करती हैं तब इस देश का सांस्कृतिक पतन होने लगता है। आज […]
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा का स्तर दिया गया। हिंदी को ही राजभाषा भी माना गया। संविधान के अनुच्छेद 343 (1) के अनुसार हिंदी भारत की राजभाषा तथा देवनागरी इसकी लिपि है। यह दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य है कि व्यवहार में हमारा यह संवैधानिक अनुच्छेद हमारा राष्ट्रीय संकल्प न बनकर केवल कागज का […]
हिन्दुत्व के विषय में उच्चतम न्यायालय ने ‘शास्त्री यज्ञपुरूष दास और अन्य विरूद्घ मूलदास भूरदास वैश्य और अन्य (1966 एससीआर 242)’ में कहा है-”जब हम हिंदू धर्म के विषय में सोचते हैं तो हमें हिंदू धर्म को परिभाषित करने में कठिनाई अनुभव होती है। विश्व के अन्य मजहबों के विपरीत हिंदू धर्म किसी एक दूत […]
आर्य समाज की स्थापना गुजरात में जन्में स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने 10 अप्रैल, सन् 1875 को मुम्बई नगरी में की थी। आर्यसमाज क्या है? यह एक धार्मिक संस्था है जिसका उद्देश्य धर्म, समाज व राजनीति के क्षेत्र से असत्य को दूर करना व उसके स्थान पर सत्य को स्थापित करना है। क्या धर्म, समाज […]
आर्य समाज की स्थापना गुजरात में जन्में स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने 10 अप्रैल, सन् 1875 को मुम्बई नगरी में की थी। आर्यसमाज क्या है? यह एक धार्मिक संस्था है जिसका उद्देश्य धर्म, समाज व राजनीति के क्षेत्र से असत्य को दूर करना व उसके स्थान पर सत्य को स्थापित करना है। क्या धर्म, समाज […]
बीनू भटनागर कोई भी भाषा सदैव एक सी नहीं रहती बदलावों को ग्रहण करके ही आगे बढती है, इस यात्रा मे देश के इतिहास की भी अहम भूमिका होती है, वहाँ कहाँ कहाँ से आकर लोग बसे, उनकी भाषा क्या थी, इन सब बातों का भाषा की विकास यात्रा पर बहुत असर पड़ता है।हिन्दी मे […]
डॉ. मधुसूदन (एक) प्रवेश और लाभ: इस पद्धति में, देवनागरी लिपि सीखना आवश्यक नहीं। सफलता भी तुरंत प्राप्त होती है। अनपढ भी हिन्दी बोलना सीख सकता है।यदि, बडी मात्रा में संसाधन लगाकर हिन्दी वार्तालाप तमिलनाडु में फैलाया जाए, तो,हिन्दी के लिए अनुकूल जनमानस बनाने में भी यह पद्धति सफल हो सकती है।तीर्थ स्थानों के मार्ग […]
डा0 इन्द्रा देवीहिन्दूओं में सन् 1823 ई0 में जन्मे राजा शिवप्रसाद सितारे हिन्द अंग्रेजों के उसी तरह कृपा पात्र थे। जैसे कि सर सैयद अहमद हिन्दी की रक्षा के लिए उन्हें खड़ा होना पडा। वह पहले हिन्दी संरक्षक थे। जो शिक्षा विभाग में इंस्पेक्टर पद पर नियुक्त हुए। उस समय दूसरे विभागों की भांति शिक्षा […]