पुण्य प्रसून बाजपेयी वह शुक्रवार की रात थी। यह शनिवार की रात है। वह पांच बरस पहले का वाक्या था। यह पांच दिन पहले का वाक्या है। वह सितंबर का महीना था। यह मई का महीना है। वह यूपीए-2 के पहले बरस के जश्न की रात थी। यह मोदी सरकार के एक साल पूरे होने […]
पुण्य प्रसून बाजपेयी वह शुक्रवार की रात थी। यह शनिवार की रात है। वह पांच बरस पहले का वाक्या था। यह पांच दिन पहले का वाक्या है। वह सितंबर का महीना था। यह मई का महीना है। वह यूपीए-2 के पहले बरस के जश्न की रात थी। यह मोदी सरकार के एक साल पूरे होने […]