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संपादकीय

‘बुद्घ नही युद्घ’ के उद्घोषक: सावरकर

बात 10 मई 1957 की है। सारा देश 1857 की क्रांति की शताब्दी मना रहा था। दिल्ली में रामलीला मैदान में तब एक भव्य कार्यक्रम हुआ था। हिंदू महासभा के नेता वीर सावरकर यद्यपि उस समय कुछ अस्वस्थ थे, परंतु उसके उपरांत भी वह इस ऐतिहासिक समारोह में उपस्थित हुए थे। वह देश के पहले […]

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संपादकीय

नेहरू हार गये और सावरकर जीत गये

अभी हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा है। इस हार से पहुंचे ‘सदमे’ से सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य नेता अभी उभर नही पाए हैं। देश के लिए कांग्रेस का हार जाना बुरी बात नही है, बुरी बात है देश में अब […]

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