कहते है कि जैसा अन्न वैसा मन। हम जो कुछ भी खाते है वैसा ही हमारा मन बन जाता है। अन्न चरित्र निर्माण करता है। इसलिए हम क्या खा रहे है। इस बात का सदा ध्यान रखना चाहिए। प्रकृति से हम जो कुछ भी ग्रहण करते है जैसे भोज्य पदार्थ, पेय पदार्थ, वायु, पांच ज्ञानेन्द्रियों […]
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