१९५२ में भारतीय जनसंघ का गठन करते समय डा० श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने एक वैक्लपिक वैचारिक राजनीति के लिये प्रयास किया था । पंडित नेहरु ने अपने राजनैतिक स्वार्थों के लिये देश विभाजन स्वीकार कर लेने के बाद भी उन्हीं नीतियों को जारी रखने की क़सम खाई हुई थी , जिनके चलते भारत विखंडित हुआ था […]
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प्रवीण गुगनानीनरेन्द्र मोदी के प्रधानमन्त्री पद के शपथ कार्यक्रम के लिए जब पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री नवाज शरीफ को न्यौता दिया तब इस पहल के बहुत से अर्थ अनर्थ निकालें जानें लगे. मीडिया, राजनीतिज्ञ, रक्षा विशेषज्ञ, आम नागरिक सभी का ध्यान इस ओर आकृष्ट भी हुआ किन्तु आश्चर्य किसी को भी नहीं हुआ क्योंकि जिस आक्रामक […]
राजकुमार आर्य दादरी। जब देश आलस और प्रमाद की झपकी लेने लगता है, निराशा निशा चहुं ओर झलकने लगती है, जब देश की फिज़ाओं में चारों ओर एक मौन आह्वान गूंजने लगता है तब कवि आशा की एक किरण बनकर मैदान में आता है और अपनी लेखनी की पैनी धार से निराशा के सारे बादलों […]