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समाज

मानसिक रुग्णता, समाज और सरकार

मानसिक रोगियों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय की चिंता नई नहीं है। इसके पहले भी न्यायालय देश में बढ़ रहे मानसिक रोगियों को लेकर अपनी चिंता जता चुका है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस बार के आदेश में मानसिक रोगियों के पुनर्वास की बात भी कही गई है। कोर्ट ने माना है कि ऐसे कई रोगी […]

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महत्वपूर्ण लेख

स्वच्छ भारत अभियान : स्वच्छता, समाज और सरकार

सुनील तिवारी केंद्र सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को शुरू हुए एक साल का समय हो चुका है। गौरतलब है कि पिछले साल गांधी जयंती के सुअवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने इस योजना की शुरुआत बड़े जोर-शोर से की थी। उसके बाद देश के लगभग सभी नेता भारत को स्वच्छ बनाने की मुहिम […]

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संपादकीय

‘‘भारतीय समाज की जटिलता-जाति व्यवस्था’’

पी.डी. ओस्पेंस्की ने ‘‘ए न्यू मॉडल ऑफ  दी यूनीवर्स’’ पृष्ठ 509 पर लिखा है: ‘‘मनुष्यों का चार वर्णों में वर्गीकरण एक आदर्श समाज व्यवस्था है। इसका कारण यह है कि वास्तव में यह एक स्वाभाविक वर्गीकरण है। चाहे लोग इसे चाहें या न चाहें, चाहे वे इसे मानें या न मानें मगर वे चार वर्गों […]

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महत्वपूर्ण लेख

वेदों का ज्ञान और समाज का पुराण वर्णित अन्ध विश्वासों का आचरण

सृष्टि की रचना करने के बाद से ईश्वर मनुष्यों को जन्म देता, पालन करता व उनकी सभी सुख सुविधा की व्यवस्थायें करता चला आ रहा है। हमारी यह सृष्टि लगभग 1 अरब 96 करोड़ वर्ष पूर्व ईश्वर के द्वारा अस्तित्व में आई है। सृष्टि को बनाकर ईश्वर ने वनस्पतियों व प्राणीजगत को बनाया और इसमें […]

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महत्वपूर्ण लेख

अंधविश्वासों का खण्डन समाज की उन्नति के लिए परम आवश्यक

जिस प्रकार से मनुष्य शरीर में कुपथ्य के कारण समय-समय पर रोगादि हो जाया करते हैं, इसी प्रकार समाज में भी ज्ञान प्राप्ति की  समुचित व्यवस्था न होने के कारण सामाजिक रोग मुख्यतः अन्धविश्वास, अपसंस्कृति एवं किंकर्तव्यविमूढ़ता आदि हो जाया करते हैं। अज्ञान, असत्य व अन्धविश्वास का पर्याय है। जहां अज्ञान होगा वहां अन्धविश्वास वर्षा […]

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अन्य

जीवन का पुनर्मूल्यांकन और जर्जर समाज

घनश्याम भारतीयभारत गांवो का देश है, क्योंकि देश की अधिकांश आबादी गांवो में बसती है। इसलिए गांवो और ग्रामीणो की दशा सुधारने के लिए सरकार द्वारा कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से प्रयास तो किये जा रहे है परन्तु वह परिणाम सामने नही आ पा रहा है जो आना चाहिए। इसका अर्थ यह हुआ कि हम […]

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