संसार में सभी स्थानों पर हर समय न तो पूर्ण अनुकूलताएं होती हैं न प्रतिकूलताएं। इनका न्यूनाधिक प्रवाह हमेशा बना रहता है। कभी किसी जगह एक प्रकार की अनुकूलताएं होती हैं तो वहाँ दूसरे प्रकार की प्रतिकूलताएं बनी रहती हैं। इसी प्रकार कहीं प्रतिकूलताएं होंगी, तो वहाँ किसी न किसी प्रकार की अनुकूलताओं का अस्तित्व […]