भारत जब-जब भी भारतीयता की और भारत केे आत्म गौरव को चिन्हित करने वाले प्रतिमानों की कहीं से आवाज उठती है, तो भारतीयता और भारत के आत्मगौरव के विरोधी लोगों को अनावश्यक ही उदरशूल की व्याधि घेर लेती है। अब मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने कहीं संस्कृत के लिए कुछ करना चाहा […]
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डा. विष्णुकांत शास्त्री भारतीय संस्कृति के विषय में लिखते हैं :-‘‘जीवन को सुसंस्कृत करते रहने के तीन साधन हमारे पूर्वजों ने बताये हैं। गुणाधान (गुणों को अर्जित करना) दोषापनयन (दोषों को दूर करना) और हीनांगपूत्र्ति (सतकर्म के लिए अन्य लोगों से सहायता साधन-आवश्यक अवयव प्राप्त करना)। ऋग्वेद की ही उक्ति है-‘‘आ नो भद्रा : क्रतवो […]
नोलाक्ष विक्रम जापान देश में विगत चौदह शताब्दियों से संस्कृतअध्ययन-अध्यापन की अखण्ड परम्परा चली आ रही है। प्रो. हाजी-मे-नाका-मुरा के अनुसार तो भारतको छोडक़र संसार में सबसे अधिक संस्कृत का अध्ययन-अध्यापन जापान में ही होता रहा है और एक बड़ी संख्या में वहां के विद्यार्थी संस्कृत पढ़ते रहे हैं। जापान में संस्कृत की पुरातन परम्परा […]
अशोक प्रवृद्ध संसार की समृद्धतम भाषा संस्कृत भारतीय संस्कृति का आधारस्तम्भ है।देवभाषा के नाम से जानी जाने वाली संस्कृत संसार की समस्तभाषाओं की जननी है। वेद भी संस्कृत भाषा में होने के कारण इसे वैदिक भाषा भी कहा जाता है। संस्कृत शब्द का अर्थ होता है-परिष्कृत, पूर्ण एवं अलंकृत। संस्कृत में बहुत कम शब्दों में […]
भारत जब-जब भी भारतीयता की और भारत केे आत्म गौरव को चिन्हित करने वाले प्रतिमानों की कहीं से आवाज उठती है, तो भारतीयता और भारत के आत्मगौरव के विरोधी लोगों को अनावश्यक ही उदरशूल की व्याधि घेर लेती है। अब मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने कहीं संस्कृत के लिए कुछ करना चाहा […]
संस्कृत और जर्मन को आपस में लड़ाने की कोई जरुरत मुझे दिखाई नहीं पड़ती। क्यों तो हमारा प्रधानमंत्री जर्मन चांसलर को झूठा दिलासा दे और क्यों हमारी मानव संसाधन मंत्री (शिक्षा मंत्री का भौंडा नामकरण) सफाई देती फिरे? जर्मन सरकार को चिंता है कि यदि भारत का शिक्षा मंत्रालय संस्कृत पढ़ाने पर अड़ गया तो […]