भारत जैसे धर्मप्रधान और तीज-त्योहारों वाले देश में होली अनूठा एवं अलौकिक त्योहार है, यह लोक पर्व है, मनुष्यता का पर्व है, समाज का पर्व है, संस्कृति का पर्व है एवं यह बंधनमुक्ति का पर्व है। इसमें आप समाज को सर्वोपरि मनाने की घोषणा करते हैं। यह विशुद्ध मौज-मस्ती व मनोरंजन का सांस्कृतिक त्योहार है। […]
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भारत के 68वें गणतंत्र दिवस की पावन बेला है। मैंने सोचा कि अपने सुबुद्घ पाठकों के लिए कोई ऐसी भेंट इस अवसर पर दी जाए जो उन्हें गणतंत्र के पुजारी इस भारत देश की सनातन ज्ञान परम्परा से जोड़े और उन्हें आनन्दित व रोमांचित कर डाले। इसी क्रम में यह आलेख तैयार हो गया। हमारी […]
रामचंद्रजी महाराज भारत की संस्कृति के मर्यादा पुरूषोत्तम हैं, उनके बिना भारत की संस्कृति का जीवंत उदाहरण देना हमें कठिन हो जाएगा। भारत की मर्यादित संस्कृति की रक्षा कोई ऋषि, संत या महात्मा करे यह तो संभव है, पर इस कार्य को कोई राजवंशी राजपुरूष मर्यादित रहकर करे-यह अपने आप में एक महत्वपूर्ण बात है। […]
पैसा और संस्कृति
देखो भई ऐसा है, सबसे बड़ा पैसा है- यह पंक्तियां हमारी नहीं बल्कि एक विज्ञापन की है जिसे इस वक्त का सबसे बड़ा तथाकथित हंसोड़ बोलता है। इस बेचारे किराए के विदूषक की भी यही मजबूरी है क्योंकि यह एक छोटे से शहर के नितांत मध्यमवर्गीय परिवार का लडक़ा है जो अपने द्विअर्थी हाजिर जवाबी […]
मनमोहन सिंह आर्य संसार में समस्त धार्मिक ग्रन्थों में वेद के बाद सत्यार्थप्रकाश का प्रमुख स्थान है। इसका कारण इन दोनों ग्रन्थों का मनुष्य जीवन के लिए सर्वोपरि महत्व है। वेद ईश्वर प्रदत्त अध्यात्म व सांसारिक ज्ञान है। यह बताना आवश्यक है कि सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, निराकार, सर्वान्तर्यामी ईश्वर ने सृष्टि के आरम्भ में अमैथुनी […]