क्या उसने इसके उपाय किये हैं या कौन से अन्य उपाय किये जाने उसके पास शेष हैं? यदि उसके पास कुछ शेष है तो उसके विकल्प क्या हैं? हमारी जनता भी अपने राजनीतिज्ञों से ऐसे ही प्रश्न पूछे। उन्हें वास्तविक बिंदुओं पर लाने के लिए वह प्रेरित भी करे और बाध्य भी करे। ‘हवाई फायरों’ […]
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श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी का संदेश-भाग-5
बलराम, कृतवर्मा, सात्यकि जैसे लोग भी मूर्खता व धूर्तता का व्यवहार करने लगे। यह कलहपूर्ण व्यवहार बढ़ा और बढक़र झगड़े का रूप धारण कर गया। इस झगड़े में सारे यादव कट-कटकर परस्पर मर गये। श्रीकृष्ण और बलराम इस घटनाक्रम से दु:खी होकर वन में तपस्या करने चले। बलराम द्वारा ब्रह्मरंध्र से बाहर निकालकर प्राण त्याग […]
श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी का संदेश-भाग-4
इस नियुक्ति का शिशुपाल ने उद्दण्डता पूर्वक विरोध् किया। उसके विरोध् को शांत करने का भीष्म पितामह और अन्य सभी महानुभावों ने प्रयास किया। कृष्ण शांतमना सारा दृश्य देखते और झेलते रहे। अंत में जब शिशुपाल उनका वध् करने भागा तो कृष्ण जी के द्वारा उसी का वध् कर दिया गया। उसके पश्चात् वह यज्ञ […]
प्रमोद भार्गव कृष्ण बाल जीवन से ही जीवनपर्यंत समााजिक न्याय की स्थापना और असमानता को दूर करने की लड़ाई देव व राजसत्ता से लड़ते रहे। वे गरीब की चिंता करते हुए खेतीहर संस्कृति और दुग्ध क्रांति के माध्यम से ठेठ देशज अर्थ व्यवस्था की स्थापना और विस्तार में लगे रहे। सामारिक दृष्टि से उनका श्रेष्ठ […]
श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी का संदेश-भाग-3
हस्तिनापुर के राजघराने का इतिहास उस काल के भारतवर्ष का इतिहास है। यदि यह सत्य है कि भारतवर्ष का ‘भारत’ नाम (?) इसी वंश के पूर्वज राजा भरत के नाम पर पड़ा और यह राजघराना भारतवर्ष की चरमोन्नति का ध्वजवाहक रहा तो यह भी निर्विवाद रूप से सत्य है कि इसी परिवार के कृत्यों से […]
श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी का संदेश-2
नंद के घर में उन्होंने प्रवेश किया और वहां से उनकी नवजात लडक़ी को उठाकर उसके स्थान पर अपने नवजात शिशु को सुलाकर जल्दी ही मथुरा की ओर लौट पड़े। घनघोर वर्षा से यमुना का जल प्रवाह अत्यंत तीव्र था, वसुदेव के लिए संतान की रक्षा का उत्तरदायित्व इस समय सर्वोपरि था। वसुदेव के उत्साह […]
श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी का संदेश
श्रीराम और श्रीकृष्ण भारतीय सांस्कृतिक गगन मण्डल के ऐसे आप्त पुरूष हैं जिन्हें उसका सूर्य और चंद्रमा कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है। समसामयिक पारिस्थितिक घटनाक्रम के अंतर्गत दोनों ही व्यक्तियों का अपना-अपना सहयोग और कार्य अविस्मरणीय है, अनूठा है, अनुपम है और अद्वितीय है। इस लेखमाला में इन दो व्यक्तियों में से जिसका वर्णन किया […]