प्रो. डी.सी. सारण भारतीय समाज की ये विसंगतियां और खुली धांधली किसान के शिक्षित, जागृत और संगठित होने के साथ ही समाप्त होने वाली है। गांव और किसान के शोषण की व्यथा-कथाओं से इतिहस भरा पड़ा है। किसान शक्ति का योजनाबद्ध विभाजन और उसके आर्थिक स्रोतों को चूसने का सिलसिला अंग्रेजों ने शुरू किया था। […]