विजय शर्मा सरकारी इंजीनियरिंग, मेडिकल और तकनीकी शिक्षण संस्थानों की कमी के चलते प्रदेश में निजी गैर मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थान कुकरमुत्तों की तरह उग आए हैं। ये युवाओं के साथ छल कर रहे हैं और जाने-अनजाने शासन-प्रशासन उसका भागीदार है। ऐसे संस्थानों एवं इन्हें चलाने वालों के खिलाफ कठोर कदम उठाने की जरूरत हैज् […]
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व्यापार में दूसरों का साथ
आज का दौर ‘ग्लोबल विलेज’ का दौर है जिसमें संपूर्ण विश्व एक ग्राम ईकाई के रूप में परिवर्तित हो चुका है। कुछ लोगों की क्षमताएं रहती हैं कि विदेशी कंपनियों को बुलाने का अर्थ फिर भारत को गुलाम कराने की तैयारी करना है। ऐसे लोग ईस्ट इंडिया कंपनी का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि […]
कहा जाता है कि विकास केवल स्वतंत्र और पारदर्शी माहौल में ही संभव है। शैक्षिक और अकादमिक जगत के लिए भी यह सच है। शैक्षिक जगत में स्वतंत्रता और पारदर्शिता को केवल तभी कायम रखा जा सकता है, जब महत्वपूर्ण पदों पर चयन और नियुक्तियों में केवल और केवल योग्यता का खयाल रखा जाए और […]
जैसा मन होता है वैसा परिवेश सृजित होता है। इसलिए जीवन में हमेशा कल्पनाओं, लक्ष्यों और भावनाओं को इतना ऊँचा रखें कि इनके साकार हो जाने पर शाही और आनंदमय जीवन प्राप्त हो सके। जो हमारे मन में सूक्ष्म धरातल पर होता है वही कालान्तर में अनुकूलताएं और वैचारिक भावभूमि का सुदृढ़ आधार पाकर स्थूल […]