एक सामान्य सी अपेक्षा रहती है कि हर संवैधानिक एवं अन्य संस्थान स्वतंत्र व पारदर्शी रूप से कार्य करे। बेशक किसी भी संगठन की ढांचागत व्यवस्था उसमें निष्पक्ष प्रदर्शन की नींव डालती है, लेकिन न्याय के लक्ष्य को हासिल करने में उस संगठन में कार्यरत व्यक्तियों की भी अहम भूमिका रहती है। जब कोई नाकारा […]
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बिखरे मोती-भाग 96 गतांक से आगे….जीवन में हो पवित्रता,रखना हमेशा ध्यान।पवित्रता से होत है,आत्मा का कल्याण ।। 922 ।। व्याख्या :-चित्त की निर्मलता अथवा पवित्रता ही धर्म है। इसलिए मनुष्य को चाहिए कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रतिपल विशेष ध्यान रखें। हमारे ऋषियों ने इसलिए मन, वचन, कर्म की पवित्रता पर विशेष बल दिया […]