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प्रमुख समाचार/संपादकीय

वैचारिक तरंगों से ही है सृष्टि का व्यापार

जैसा मन होता है वैसा परिवेश सृजित होता है। इसलिए जीवन में हमेशा कल्पनाओं, लक्ष्यों और भावनाओं को इतना ऊँचा रखें कि इनके साकार हो जाने पर शाही और आनंदमय जीवन प्राप्त हो सके। जो हमारे मन में सूक्ष्म धरातल पर होता है वही कालान्तर में अनुकूलताएं और वैचारिक भावभूमि का सुदृढ़ आधार पाकर स्थूल […]

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