नासिक के समीप भगूर नामक ग्राम में 28 मई, सन् 1883 को जन्मे वीर सावरकर आधुनिक भारत के निर्माताओं की अग्रणी पंक्ति के जाज्लयमान नक्षत्र है। वे पहले ऐसे राष्ट्रभक्त विद्यार्थी थे, जिन्होंने अंग्रेजी सरकार का कायदा-कानून भारत में स्वीकार करने से इन्कार किया और लोगों को भी उस बारे में ललकारा । * पूर्ण […]
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कब तक दाँतों को पीसेंगे, कब तक मुट्ठी भींचेंगे कब तक आँखों के पानी से हम पीड़ा को सींचेंगे रोज यहाँ गाली मिलती है देशभक्त परवानों को आजादी के योद्धाओं को भारत के दीवानों को जिनके ओछे कद हैं वे ही अम्बर के मेहमान बने जो अँधियारों के चारण थे सूरज के प्रतिमान बने […]
राकेश कुमार आर्य स्वातंत्र्य वीर सावरकर ने ‘क्रांतिकारी चिट्ठियों’ में कहा-‘‘हम ऐसे सर्वन्यासी राज्य में विश्वास रखते हैं जिसमें मनुष्य मात्र का भरोसा हो सके और जिसके समस्त पुरूष और स्त्रियां नागरिक हों, और वे इस पृथ्वी पर सूर्य और प्रकाश से उत्तम फल प्राप्त करने के लिए मिलकर परिश्रम करते हुए फलों का समान […]