कुछ समय पूर्व भूमि अधिग्रहण पर संसदीय समिति ने सिफारिश की थी कि किसी भी प्रकार की कृषि योग्य भूमि चाहे वह सिंचित हो या असिंचित के अधिग्रहण पर सरकार पूरी तरह रोक लगाये। संसदीय समिति का मानना है कि जब अमेरिका, इंग्लैंड, जापान, कनाडा जैसे विकसित राष्ट्रों में सरकारें निजी क्षेत्र के लिए जमीन […]
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न केवल पिछड़ों का, बल्कि इन वोट बैंक माने जाने वाले वर्गों का भी अच्छा खासा हिस्सा उन दलों में बंटता है, जिनको इनके खिलाफ माना जाता रहा है। इनमें से बहुत से मतदाता अपने प्रत्याशी अथवा दल की उपलब्धियों और विकास की नीतियों के कारण उसे मत देते हैं। यह अपने आप में सकारात्मक […]
अरविंद कुमार जैन गैर-कृषि क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराए बिना खेती की जमीन अधिग्रहीत करना दरअसल दोहरा अन्याय है। खेती में लगे लोगों के पास कृषि कार्य के अलावा कोई कौशल नहीं है। कृषियोग्य जमीन के साथ उनका कौशल भी चला जाता है और तथाकथित वैश्वीकृत आधुनिक सेवा क्षेत्र में उनके पास एक भी बेचने […]
केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने देश में गोधन विकास के लिए गंभीर और ठोस बात कही है। श्री सिंह ने कहा है कि गोधन विकास और गोवध निषेध को मुगल बादशाह भी इस देश पर शासन करने के लिए आवश्यक मानते थे। जबकि अंग्रेजों ने इस ओर पूर्णत: उपेक्षा भाव का प्रदर्शन किया। इस प्रकार […]
तू मौत का ढंग तो जानता है, पर जीवन की पहचान नही।हिंसा का बन व्याघ्र गया, जो कहता अपने को मानव यदि यही है उन्नत मानव, तो कैसा होगा दानव?करता अट्टाहास जीत पर, खून बहाकर भाई का। कितनी भक्ति की भगवान की, क्या किया काम भलाई का?शांत शुद्घ अंत:करण से, क्या कभी यह सोचकर देखा?निकट […]
प्रो. डी.सी. सारण भारतीय समाज की ये विसंगतियां और खुली धांधली किसान के शिक्षित, जागृत और संगठित होने के साथ ही समाप्त होने वाली है। गांव और किसान के शोषण की व्यथा-कथाओं से इतिहस भरा पड़ा है। किसान शक्ति का योजनाबद्ध विभाजन और उसके आर्थिक स्रोतों को चूसने का सिलसिला अंग्रेजों ने शुरू किया था। […]