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राजनीति संपादकीय

राष्ट्रवाद और राष्ट्रवादी

राष्ट्र अपने आप में एक अदृश्य और अमूत्र्त भावना का नाम है। इस अमूत्र्त भावना को साकार करता है-हमारा राष्ट्रवाद, और राष्ट्रवादी दृष्टिकोण। जब एक ‘बिस्मिल’ यह कह उठता है :- यदि देशहित मरना पड़े मुझको सहस्रों बार भी। तो भी न मैं इस कष्ट को निज ध्यान में लाऊं कभी।। हे ईश भारतवर्ष में […]

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संपादकीय

नेहरू, चीन और शांतिपूर्ण सह -अस्तित्व की अवधारणा

पंडित नेहरू अपने इस महान देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे। इनके शासनकाल में राष्ट्र ने नये युग में प्रवेश किया था। परतंत्रता की लंबी अवधि राष्ट्र के शोषण, आर्थिक संसाधनों के दोहन और पतन का कारण बन गयी थी। सन 1947 ई. में जब  राष्ट्र स्वतंत्र हुआ तो वह टूटा हुआ जर्जरित और थका हुआ […]

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विशेष संपादकीय संपादकीय

राष्ट्र के जागरूक पुरोहित बाबा रामदेव

वेद का आदेश है- वयं राष्ट्रे जागृयाम् पुरोहिता:।। ‘अर्थात हम अपने राष्ट्र में जागरूक रहते हुए अग्रणी बनें। राष्ट्र का नेतृत्व करें।’ जो जागरूकों में भी जागरूक होता है, वही राष्ट्रनायक होता है, वही पुरोहित होता है। यज्ञ पर पुरोहित वही बन सकता है जो जागरूकों में भी जागरूक है, सचेत है, सजग है, सावधान […]

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राजनीति संपादकीय

राष्ट्र के ब्रह्मा, विष्णु, महेश

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में  कई चीजें  बेतरतीब रूप में देखी गयीं। उन सब में प्रमुख थी किसी भी सरकारी विज्ञापन पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ-साथ कांग्रेस की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी के चित्र का लगा होना। यह लोकतंत्र और लोकतंत्र की भावना के विरूद्ध किया गया कांग्रेसी आचरण था। […]

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संपादकीय

निजी अनुभवों की सांझ-7

उसे हर प्रकार के शोषण से लडऩे और उसे उजागर करने के लिए प्रेरित किया जाता, राष्ट्र के नितांत ईमानदार और राष्ट्रसेवी आचार्य उसके भीतर की छिपी हुई मानवीय शक्तियों और प्रतिभाओं को सही दिशा और दशा प्रदान करते तो यह राष्ट्र अब तक स्वर्ग सम बन गया होता। इसमें दो मत नही हो सकते। […]

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संपादकीय

निजी अनुभवों की सांझ-2

‘कमीशन’ का घुन खा रहा है, राष्ट्र को किंतु हम सब इस व्यवस्था के प्रति अभ्यस्त होने का प्रदर्शन करते हैं, न कि आंदोलित होते हैं, ऐसा क्यों? क्योंकि हमारे नेतागण ‘कमीशन’ का विष हमारी नसों में चढ़ाने में सफल रहे हैं। देखिये- जब कोई राष्ट्र अपने आदर्शों को भुलाकर उधारे आदर्शों का आश्रय लिया […]

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संपादकीय

सुनो राष्ट्र की पुकार

हे सर्व नियन्ता स्वामिन! मैं आ गया हूँ आपके दरबार में। झोली फैलाये खड़ा हूँ, पिता। सुनो मेरी पुकार, दयानिधे! मेरे हृदय में आग जल रही है-काम की, क्रोध की, मद की, मोह की, लोभ की, ईष्र्या की, जलन की, डाह की। एक अग्नि शांत नहीं होती इतने में दूसरी भडक़ उठती है। मैं तप […]

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भारतीय संस्कृति

मन, बुद्धि और आत्मा सम्बन्धी शिक्षा देश के राज्य से असम्बद्ध होना ही राष्ट्र के लिये श्रेयस्कर

-अशोक “प्रवृद्ध” मानव शरीर में एक अंग है मन। यह स्मृत्ति यन्त्र होने के साथ ही कल्पना और मनन का भी स्थान है। ये कल्पना और मनन मन की स्मरण शक्ति के ही कारण हैं। ईश्वर प्रदत्त मन पर नियन्त्रण रखने वाला एक यन्त्र बुद्धि मन के संकल्प-विकल्प को नियन्त्रण में रखने का कार्य करती […]

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संपादकीय

राष्ट्र के वृत्त की परिधि का केन्द्र है हिंन्दुत्व

समाचार है कि मुजफ्फरनगर और सहारनपुर दंगों की आड़ में अलकायदा ने भारतीय मुसलमानों से जिहाद में सम्मिलित होकर अपनी सक्रिय भूमिका सुनिश्चित करने की भावुक अपील की है। भारत में इस आतंकी संगठन का प्रमुख असीम उमर है। जिसके विषय में सुरक्षा एजेंसी का मानना है कि उसके तार पश्चिमी उत्तर प्रदेश से जुड़े […]

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संपादकीय

राष्ट्र की आस्था बनाम व्यक्ति की आस्था

स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज ने सांईबाबा के लिए पिछले दिनों कह दिया कि सांई हिंदू नही, मुसलमान थे। इसलिए उनकी पूजा उचित नही कही जा सकती। स्वरूपानंद जी महाराज द्वारका पीठ के शंकराचार्य हैं, उनका कहना है कि सांई भगवान का अवतार नही है। स्वरूपानंद जी महाराज ने ये भी कहा है किसांई हिंदू मुस्लिम […]

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