लगता नहीं कि आज के मौजूदा माहौल में रावण दहन अर्थहीन हो गया है, औचित्य खो चुका है और जिस संदेश को देने के लिए रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन होता रहा है, प्रतीकात्मक लंका को जलायी जाती रही है, वह संदेश स्वीकारने का साहस अब किसी में बचा ही नहीं है। […]