यज्ञ शर्मा व्यंग-विनोद आदमी पैसा पैदा करना चाहता है। जितना हो सके, उतना पैदा करना चाहता है। अनाप-शनाप पैदा कर सके तो और भी अच्छा। कुछ लोग इसे आर्थिक विकास कहते हैं। और, कुछ लोग बाज़ारवाद। कोई क्या कहेगा, यह इस बात पर निर्भर है कि पैसे के बारे में उसका रुख क्या है। जितना […]
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