बिखरे मोती-भाग 93 गतांक से आगे…. वह ऐसे निष्प्राण हो जाता है जैसे पानी के बिना पौधा सूख जाता है। याद रखो, संबंधों का ताना-बाना सदभाव के जल पर चलता है। ठीक उसी प्रकार जैसे नदी के जल पर नाव चलती है। यदि नदी का जल सूख जाए तो नाव नही चल सकती है। […]
बिखरे मोती-भाग 93 गतांक से आगे…. वह ऐसे निष्प्राण हो जाता है जैसे पानी के बिना पौधा सूख जाता है। याद रखो, संबंधों का ताना-बाना सदभाव के जल पर चलता है। ठीक उसी प्रकार जैसे नदी के जल पर नाव चलती है। यदि नदी का जल सूख जाए तो नाव नही चल सकती है। […]