भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जापान यात्रा के कई निहित अर्थ हैं। इस यात्रा से जहां इन दोनों देशों के व्यापारिक और सामरिक संबंधों में निकटता आएगी वहीं अपने युगों पुराने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक संबंधों को समझने और उन्हें समीक्षित करने का अवसर भी इनको मिलेगा। आर्थिक क्षेत्र में भारत को जहां लाभ […]
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महर्षि दयानंद की ये उपेक्षा क्यों श्रद्घेय प्रधानमंत्री जी,राष्ट्र की चेतना को झंकृत कर चेतना में से निकलकर चेतना में ही समाहित हो जाने वाले, स्वाधीनता दिवस की पावन बेला पर लालकिले की प्राचीर से दिये गये अपने अनुपम और अद्वितीय संबोधन के लिए बधाई स्वीकारें। सारा देश आपके साहस और वक्तृत्व शैली की मुक्तकंठ […]
राकेश कुमार आर्यदेश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के 68वें स्वाधीनता दिवस की पावन बेला पर लालकिले की प्राचीर से मर्दानी, वरदानी और बलिदानी भाषा बोलकर देश को गदगद कर दिया, उनके ओज को देखकर ‘शत्रु’ अपनी चाल भूल गया।सुरक्षात्मक भाव को तिलांजलि दे अपने आक्रामक स्वभाव के लिए जाने-जाने वाले प्रधानमंत्री मोदी ने […]
देश के एक लोकप्रिय प्रधानमंत्री के रूप में आज तक सम्मानित रहे लालबहादुर शास्त्री ने जब देश का नेतृत्व किया था, तो उन्होंने देश को ‘जय जवान-जय किसान’ का नारा देकर देश में जवान और किसान की महत्ता को स्थापित करने पर बल दिया था। उनका मानना था कि देश की सीमा पर जवान और […]
डा. मनमोहन सिंह और नरेन्द्र मोदी में क्या अंतर है? इतना कि डा. मनमोहन सिंह मित्रों से भी लाभ नही उठा पाए जबकि नरेन्द्र मोदी शत्रुओं से भी लाभ उठाने की कला में निपुण हैं। डा. मनमोहन सिंह के विषय में यह तथ्य सुविख्यात है कि उन्हें राजनीति में लाकर ऊंचाईयों तक पहुंचाने में अमेरिका […]
डॉ0 वेद प्रताप वैदिक नरेंद्र मोदी सरकार का पहला बजट आ गया। हर बजट में हर आदमी क्या देखना चाहता है? सबसे पहले वह यह देखना चाहता है कि इस बजट में मेरे लिए क्या आ रहा है और मेरे पास से क्या जा रहा है? बजट की इस भाषा को समझने वाले लोग भारत […]
ग्राम अपने आप में एक ऐसी व्यवस्था है जिसके विषय में इसके पूर्णत: आत्मनिर्भर पूर्णत: आत्मानुशासित और पूर्णत: आत्मनियंत्रित रहने की परिकल्पना को हमारे ऋषि पूर्वजों ने साकार रूप दिया। आज के भौतिकवादी युग में किसी ईकाई या संस्था के पूर्णत: आत्मनिर्भर आत्मानुशासित अथवा आत्मनियंत्रित होने की कल्पना नही की जा सकती। ग्राम्य और शहरी […]
कभी आंसू बन जाते हैं तकदीर,कभी आंसू मिटा देते हैं तस्वीर।आंसुओं का भी अपना इतिहास है,कभी इनसे घबराती है शमशीर।बादल गरजता है बरसता है,पर पपीहा एक बूंद को तरसता है।हृदयाकाश में उठे गर नेकनीयती की बदरिया,तो आंसू ‘मोदी के मोती’ बनकर झरता है।। 20 मई को भाजपा के नवनिर्वाचित सांसदों की बैठक संसद में हो […]
26 मई को नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बन गये हैं तो जरा याद करें 3 जून 1947 का वो मनहूस दिन जब कांग्रेस ने सत्ता प्राप्ति की चाह में जल्दबाजी दिखाते हुए साम्प्रदायिक आधार पर देश का बंटवारा मान लिया था, और बंटवारे को लेकर की गयी उस बैठक से स्वातंत्रय वीर सावरकर जैसे […]