मंजिल पर पहुंचे वही, जिनके चित में चावगतांक से आगे….सन्तमत और लोकमत,कभी न होवें एक।अवसर खोकै समझते,बात कहै था नेक।। 632 ।। कैसी विडम्बना है? वर्तमान जब अतीत बन जाता है तो व्यक्ति की तब समझ में आता है कि मैं तत्क्षण कितना सही अथवा कितना गलत था? ठीक इसी प्रकार यह संसार सत्पुरूषों की […]
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