भारत में एक समय था जब गर्मियों के दिनों में विवाह समारोहों को इसलिए नहीं रखा जाता था कि उन दिनों में दूध की कमी पड़ जाती थी। लोग सर्दियों में विवाहादि करना उचित मानते थे। पर आज की स्थिति में व्यापक परिवर्तन आ चुका है। अब आप एक छोटे कस्बे में भी यदि 50 […]
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प्रमोद भार्गव वैश्विक-फलक पर सबसे अहम् गणना,जनगणना मानी जाती है। हालांकि पालतू-पशु,वन्य जीव और वृक्षों की गिनती भी होती रही हैं,लेकिन इन्हें जनगणना के मुकाबले अहमियत नहीं दी जाती। यही वजह रही कि विश्व स्तर पर वृक्षों की की गई गिनती के निष्कर्शों को समाचार माध्यमों ने उतना महत्व नहीं दिया,जितना दिया जाना चाहिए था,जबकि […]
प्रमोद भार्गव केंद्र सरकार देश के प्रत्येक नागरिक की कुण्डली तैयार करने की दृष्टि से ‘मानव डीएनए सरंचना विधेयक-2015‘ लाने की कवायद में लगी है। कालातंर में यदि यह विधेयक पारित हो जाता है तो देश के हरेक नागरिक का जीन आधारित कंप्युटरीकृत डाटाबेस तैयार होगा। चुनांचे एक क्लिक पर मनुष्य की आतंरिक जैविक जानकारियां […]
प्रमोद भार्गव अब तक जीव-जंतुओं और कीट पतंगों की प्रजातियों के लुफ्त होने के अनुमान ही देश-विदेश में किए जाने वाले सर्वेक्षणों के निष्कर्ष लगाते रहे हैं,लेकिन ‘सांइस एडवांस‘ नामक जर्नल ने हाल ही में होश उड़ाने वाला अध्ययन छापा है। इसके मुताबिक परिस्थितिकी तंत्र इस हद तक बिगड़ता जा रहा है कि अब मानव […]
क्या कभी यह सोचकर देखा? निकट है काल की रेखा।आओ मिलें अब उन लोगों से, जो आधुनिक उन्नत हैं। खून तलक पी जाएं बसर का, कहते हम गर्वोन्नत हैं।ईमान बेच दें टुकड़ों पर, और करते हैं हेरा फेरी। मानवता की हत्या करते, लगती नही इनको देरी।आज विश्व का देश द्रव्य को, व्यय कर रहा है […]
क्या कभी यह सोचकर देखा? निकट है काल की रेखा।आओ मिलें अब उन लोगों से, जो आधुनिक उन्नत हैं। खून तलक पी जाएं बसर का, कहते हम गर्वोन्नत हैं।ईमान बेच दें टुकड़ों पर, और करते हैं हेरा फेरी। मानवता की हत्या करते, लगती नही इनको देरी।आज विश्व का देश द्रव्य को, व्यय कर रहा है […]