युवा वर्ग को विचार शक्ति सबल, सक्षम और सफ ल बनाती है, और विचार को संस्कार प्रबल करता है। संस्कारहीन युवा सृजनात्मक विचार शक्ति से शून्य होता है। सृजनात्मक विचार शक्ति सुसंस्कृत समाज की संरचना का आधारभूत सत्य है। आप देखेंगे तो पता चलेगा कि समाज में दो विचारधाराएँ सदा प्रवाहित रही हैं एक वह […]
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एक बार देवी-देवता ऋषि-मुनि एवं ऋतुओं में वाद-विवाद होने लगा। आपस में सभी एक दूसरे से अपने को बड़ा एवं महान मानते थे। आपस में निर्णय न होने पर वेद भगवान के न्यायालय में सभी उपस्थित हुए। अपनी अपनी प्रतिष्ठा के अभिलाषी देवतादि भगवान वेद के न्याय की प्रतीक्षा करने लगे। भगवान वेद के आदेश […]
किसी व्यक्ति वर्ग या सम्प्रदाय की आलोचना करके या निंदा करके आप उसे छोटा नही कर सकते। उसे छोटा करने का एक ही उपाय है कि आप अपनी अच्छाइयां लोगों के सामने परोसें और उन्हें अपनी अच्छाइयों का दीवाना बना लें। हिंदुत्व किसी दूसरे में कमियां निकालने की विचारधारा का विरोधी है, वह अपनी अच्छाइयों […]