जागरूक मतदाता ही लोकतंत्र का रक्षक होता है। वह यदि चेत जाए तो संसदीय संस्थाओं का सम्मान लौट सकता है। राजनीति को भ्रष्टाचार और अपराधीकरण से मुक्ति मिलेगी और लोकतंत्र मजबूत होगा। क्षेत्रीय और जातिगत समीकरणों के नजरिए से पार्टियों ने बाहुबलियों को भी अपना उम्मीदवार बनाने में संकोच नहीं किया है। सजा पाए लोगों […]
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