लोकतंत्र सचमुच सर्वोत्तम शासन प्रणाली है। इसकी सर्वोत्तमता का कारण यह नहीं है कि यह शासन प्रणाली मताधिकार के माध्यम से जनसाधारण की शासन में सहभागिता सुनिश्चित करती है, अपितु इसकी सर्वोत्तमता का वास्तविक रहस्य इसके द्वारा लोगों को और विशेषत: शासकवर्ग को एक दूसरे की आलोचना, प्रत्यालोचना और समालोचना करने का अधिकार भी देती […]
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इस राष्ट्र के शासक सुधारक नहीं रहे हैं, यह बात सर्वमान्य हो चुकी है। ये सुधारों से डरकर इधर-उधर की बातों से जनता का मन बहलाकर मात्र समय व्यतीत कर रहे हैं। वे क्रांति की ओर हमारा ध्यान आकृष्टï कर रही है। इस क्रांति की रानी लक्ष्मीबाई बनकर, ‘तस्लीमा नसरीन’ और ‘जहांआरा बेगम’ जैसी कई […]
भारत में सर्वधर्म समभाव की बातें करते हुए हिंदू मुस्लिम ईसाई के भाई भाई होने की बात कही जाती है। इससे पूर्व भारत का आर्यत्व-हिंदुत्व इस पृथ्वी को एक राष्ट्र तथा इसके निवासियों को भूमिपुत्र कहकर भाई भाई मानता रहा है। हिंदुत्व ने संसार में मानवतावाद फैलाया और इसी को भारतीय धर्म के रूप में […]
माता निर्माता भवति नारी के प्रति वैदिक आदर्श है ‘माता निर्माता भवति’ अर्थात माता हमारी निर्माता होती है। हमारे भीतर जो संस्कार होते हैं उन पर माता का बड़ा भारी गहरा प्रभाव होता है। अत: नारी समाज को पहले उत्पन्न करती है फिर उसका निर्माण करती है अर्थात उसे उसी प्रकार एक सही सांचे में […]
भारत में करोड़ों महिलाएं हैं। उधर भारत में लोक कल्याणकारी राज्य भी हैं, धर्मनिरपेक्ष शासक भी हैं, कानून के समक्ष समानता का नागरिकों का मौलिक अधिकार भी है, और जाति, धर्म, लिंग के आधार पर राष्ट के किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव न करने की संवैधानिक व्यवस्था भी है। इन सबके उपरांत भी देश […]
जिस समय भारत की स्वतंत्रता को नोंच-नोंचकर खाने वाले विदेशी गिद्घों के झुण्ड के झुण्ड भारत भूमि पर टूट-टूटकर पड़ रहे थे और उन्हें यहां से उड़ाकर बाहर करने के लिए भारत की तलवार अपना पूर्ण शौर्य और पराक्रम दिखा रही थी, उस समय उन गिद्घों के लिए किसी शत्रुसाल की आवश्यकता थी। इस शत्रुसाल […]
उनका दृष्टिकोण हुआ करता था कि पैसा यदि लिया भी जाए तो सही काम का लिया जाए, फिर ऐसी स्थिति आयी कि जो भी दे जाए उसी का काम कर दो। इसका अभिप्राय था कि दो पक्षों में एक गलत पक्ष का व्यक्ति यदि दे जाए तो उसी का काम कर दो। किंतु आज स्थिति […]
चीन भारत और दलाईलामा चीन हमारा प्राचीन पड़ोसी देश है। इसे धर्म की दृष्टि देने वाला भारत है। इन दोनों देशों का बहुत कुछ सांझा है। यदि अतीत के पन्ने पलटे जाएं और उस पर ईमानदारी से कार्य हो तो पता चलेगा कि चीन भी कभी आर्यावत्र्त के अंतर्गत ही आता था। आज चीन ने […]
‘भारत गांवों का देश है’-ऐसा कहा जाता है। पर आज हम देख रहे हैं कि गांवों से भारत शहरों की ओर भाग रहा है। मानो, वह इस कहावत को अब बदल देना चाहता है कि ‘भारत गांवों का देश है।’ भारत शहरों का देश बनता जा रहा है। लोगों का मिट्टी से लगाव कम होकर […]
डा़ अम्बेडकर एक प्रसिद्घ विचारक और समाज सुधारक युग प्रवर्तक महापुरूष थे। उन्होंने भारत के तत्कालीन समाज की गहन और गंभीर समीक्षा की थी, और समाज में व्याप्त छुआछूत और ऊंचनीच की भावना को मिटाने केे लिए अपनी ओर से गंभीर प्रयास किये थे। उन्होंने विश्व के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में जाकर अर्थशास्त्र का व्यापक अध्ययन […]