बुद्घि से ही उपजताजीवन में सदा ज्ञान।गर बुद्घि में अहं हो,तो ज्ञान बनै अज्ञान ।। 948।। व्याख्या :-संसार में आज जितना भी बहुमुखी और बहुआयामी विकास दृष्टि गोचर हो रहा है, इसके मूल में मनुष्य की बुद्घि है। यह बुद्घि मनुष्य को परमपिता परमात्मा का अनुपम उपहार है। ज्ञान सर्वदा बुद्घि में ही उपजता है […]