आर्थिक क्षेत्र में भी राहुल गांधी के पास फटे-पुराने समाजवादी एजेंडे के अलावा कुछ नया नहीं है। राहुल निश्चित रूप से चुनावी राजनीति के राजनीतिक चरण में दोबारा प्रविष्ट हो रहे हैं और वह कड़े प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उनकी रणनीति चुनावी जुमलों तक सीमित है। उनकी न तो कोई नीति है, न कोई […]
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