करागे्र वसते लक्ष्मी करमध्ये च सरस्वती करमूले च गोविन्दम् प्रभाते कर दर्शनम् भावार्थ-कर अर्थात हाथ, अग्रे अर्थात अगला भाग अर्थात अग्रिम भाग, वसते-निवास करना, लक्ष्मी-धन (संपदा, सुख, वैभव) करमध्ये-हाथ का बीच का भाग, च-और, सरस्वती वाणी, वाक की देवी अर्थात विद्या की देवी, करमूले-हाथ का मूल स्थान, अर्थात हथेली व भुजा का संगम स्थल जहां […]
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