हम महाभारत के पृष्ठ पलटें तो पता चलता है कि दुर्योधन युधिष्ठिर की श्री को देखकर सदा जलता रहता था। वह अपने पिता धृतराष्ट्र से कहता भी है कि मैं जो कुछ भोगता हूं युधिष्ठिर की लक्ष्मी देखकर उनमें मन नहीं रमता। युधिष्ठिर की दैदीप्यमान राजश्री ही मेरे तेज को नष्ट कर रही है। इस […]
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