कुलदीप नायर एक लोकतांत्रिक प्रणाली में राजनीतिक दल बिरले ही कभी एक पक्ष में होते हैं। उनके अपने-अपने एजेंडे हैं और अपनी ही चिंतन विधा है, और सबसे ऊपर यह कि वे एक ही मायामय लक्ष्य के लिए- जो है संसद में बहुमत की प्राप्ति, उसके लिए ही प्रतिद्वन्द्विता में रत हैं। उस स्थान को […]