उमेश उपाध्याय“धर्म निरपेक्षता” शब्द ही सही नहीं है। पश्चिमी देशों में चर्च को राज्य और शासन से अलग करने के संदर्भ में “सेकुलरवाद” की सोच आई। मगर उसे “धर्मनिरपेक्ष” कहकर पश्चिम प्रेरित भारतीय बुद्धिजीवियों ने उसका अनर्थ ही कर डाला। जिसकी व्याख्या राजनेताओं ने सिर्फ अल्पसंख्यकों को भरमाने के लिए की है।कॉंग्रेस के वरिष्ठ नेता […]