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संपादकीय

अब क्रान्ति होनी चाहिए

देश के विषय में ना तो कुछ सोचो ना कुछ बोलो ना कुछ करो और जो कुछ हो रहा है उसे गूंगे बहरे बनकर चुपचाप देखते रहो-आजकल हमारे देश में धर्मनिरपेक्षता की यही परिभाषा है। यदि तुमने इस परिभाषा के विपरीत जाकर देश के बारे में सोचना, बोलना, लिखना, या कुछ करना आरम्भ कर दिया […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

गांधीवाद की परिकल्पना-7

गांधीजी की धर्मनिरपेक्षता गांधीजी की धर्मनिरपेक्षता को गांधीवाद का एक महान लक्षण बताकर महिमामंडित किया गया है। हिंदू उत्पीडऩ, हिंदू दमन, हिन्दू का शोषण और विपरीत मजहब वालों का तुष्टिकरण गांधीवाद में धर्मनिरपेक्षता की यही परिभाषा है। इस पर हम पूर्व लेखों में पर्याप्त प्रकाश डाल चुके हैं। अपनी इसी धर्मनिरपेक्षता के कारण गांधीजी ने […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

ऐतिहासिक भवनों एवं किलों की उपेक्षा-2

इस धर्मनिरपेक्षता की रक्षार्थ यदि इन्हें हमारी वीर राजपूत जाति की क्षत्राणियों के हजारों बलिदानों को भुलाना पड़े, उनके जौहर को विस्मृति के गड्ढे में डालना पड़े और उन्हें अधम कहना पड़े तो ये लोग ऐसा भी कर सकते हैं। यह अलाउद्दीन के उस प्रयास को जो उसने महारानी पदमिनी को बलात् अपने कब्जे में […]

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अन्य

धर्मनिरपेक्षता का अर्थ नास्तिकता नहीं

चंद्रशेखर धर्माधिकारी इहलोकवाद के अर्थ में ‘सेक्युलरिज्म’ शब्द का आद्य प्रवर्तक और समाज में उसके प्रयोग का प्रतिवाद करने वाला प्रथम प्रवक्ता जॉर्ज जेकब होलिओक था। सन् 1950 में उसने चाल्र्स ब्रेडलों के साथ के अपने मतभेदों को स्पष्ट किया। उसने कहा, ‘धर्म और सेक्युलरिज्म’ परस्पर व्यावर्तक है। वे एक-दूसरे के क्षेत्र में प्रवेश न […]

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