बिखरे मोती भाग-70गतांक से आगे….रोगी को कड़वी दवा,लगता बुरन परहेज।विपदा कुण्ठित मति करै,और घट जावै तेज ।। 766 ।। कुण्ठित मति-बुद्घि का भ्रष्ट होना, आया है संसार में,कर पुण्यों का योग।कर्माशय से ही मिलें,आयु योनि भोग ।। 767 ।। कर्माशय-प्रारब्ध पूर्णायु बल सुख मिलै,सेहत की सौगात।परिमित भोजन जो करे,लाख टके की बात ।। 768 ।। […]