दिल्ली भारत की राजधानी है। इसी शहर को कभी राजा इन्द्र की राजधानी या इन्द्रनगरी या इन्द्रप्रस्थ कहा जाता था। राजा इन्द्र की राजधानी या इन्द्रनगरी की कथा-कहानियां भारतवर्ष में आज भी बहुत प्रचलित हैं। राजा इन्द्र के दरबार का वैभव भी कथा-कहानियों और पुराणों में हमें बहुत कुछ सुनने और पढऩे को मिलता है। […]
टैग: #दिल्ली
भारत देश का संवैधानिक नाम भारत संघ (इंडियन यूनियन) है। इसका कारण यह बताया जाता है कि भारत विभिन्न राज्यों का एक संघ है। यद्यपि इन राज्यों की संवैधानिक स्थिति कभी के सोवियत संघ के राज्यों की स्थिति के सर्वथा भिन्न है। इसके अतिरिक्त ये राज्य किसी भी स्थिति परिस्थिति में ‘राष्ट्र राज्य’ नही हो […]
(50) कोच्चीन, त्रावणकोर- इन दोनों क्षेत्रों में मुस्लिम शासन एक दिन भी नहीं रहा। जबकि 1857 ई. से यहां अंग्रेजी राज्य अवश्य आ गया। इस प्रकार के परिश्रम साध्य विषय को समझकर और देखकर हमें ज्ञात होता है कि अंग्रेजों का भारत में विस्तार सामान्यता 1820 ई. से बाद का है। उसमें भी अधिकांश 1857 […]
जलता हुआ प्रश्न एक ही, दिल्ली किसको बोल रही? रक्त चूसते भ्रष्टाचारी उनका घूंघट खोल रही। सपनों का महल जलाना राजनीति का व्यवसाय बना, कब तक इनसे जूझूंगी मैं? दिल्ली की माटी बोल रही। वास्तव में दिल्ली आज अपने आप पर लज्जित है। सवा दो वर्ष पूर्व दिल्ली ने जिन अपेक्षाओं के साथ अपनी शासन […]
दिल्ली ने एमसीडी के चुनावों में ‘आप’ को उसके ‘पाप’ का दण्ड सुना दिया है, साथ ही कांग्रेस की नेतृत्वविहीनता को उसका उचित पुरस्कार देकर भाजपा को फिर से सत्ता सौंपकर नरेन्द्र मोदी की नीतियों में विश्वास प्रकट किया है। पूर्व से ही दिल्ली के ऐसे परिणामों की अपेक्षा लोगों की थी कि दिल्ली इस […]
भारतीय सेना का एक गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। भारत में सेना के होने की पुष्टि भारत के प्राचीन साहित्य से भली प्रकार होती है। सेना राजा की अहिंसक नीति को राज्य में लागू कराने तथा विदेशी शत्रु से अपने देश की सीमाओं की रक्षा के दायित्व संभालती रही है। ‘राजा की अहिंसक नीति’ से हमारा […]
दिल्ली को ‘स्वर्ग’ बनाने के पश्चात दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल अब पंजाब का मुख्यमंत्री बनने के सपने देखने लगे हैं। हम उनके इन सपनों को मुंगेरीलाल के हसीन सपने नहीं कहेंगे, क्योंकि सपने देखना हर व्यक्ति नैसर्गिक अधिकार है, और लोकतंत्र व्यक्ति के सपनों का न केवल सम्मान करता है, अपितु उन्हें साकार कराने […]
विकास नारायण विज्ञापनों में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ही नहीं, पुलिस कमिश्नर बस्सी भी दिल्ली की जनता के प्रति सजग रहना चाहते हैं। यहां तक कि उपराज्यपाल नजीब जंग अपने कार्यकलापों में बेशक रीढ़-विहीन नजर आएं, संशय-विहीन नहीं कहे जा सकते। अन्यथा आरोप-प्रत्यारोप की वर्तमान कवायद में अबूझ क्या है? कौन नहीं जानता कि दिल्ली की […]
कश्मीर को लेकर जब-जब चर्चाएं चलती हैं, बहस होती है या राजनीति में गरमाहट आती है तो समय की सुईयां पुन: 1947 की ओर घूम जाती हैं, और हम सबके अंतर्मन पर कुछ परिचित से नाम पुन: घूमने लगते हैं। इन नामों में सरदार वल्लभभाई पटेल, महाराजा हरिसिंह, पंडित जवाहरलाल नेहरू, शेख अब्दुल्ला, लियाकत अली, […]
जब किसी मुस्लिम राजवंश का पतन होता था तो स्वाभाविक रूप से अंतिम समय के सुल्तानों का अपने शासन पर नियंत्रण शिथिल हो जाता था। शासन की इस शिथिलता का लाभ हमारे तत्कालीन हिंदू वीर अवश्य उठाते थे। यह क्रम 1206 ई. से लेकर अब तक (तुगलक वंश के अंतिम दिनों तक) यथावत चला आ […]