भारत का संविधान अपने मौलिक स्वरूप में पंथनिरपेक्ष संविधान है। यह पंथनिरपेक्षता शब्द अपने आप में प्रत्येक व्यक्ति के उन सभी अधिकारों की सुरक्षा करता है जिनकी कल्पना तक आज के मानवाधिकारवादी कर भी नहीं सकते। राज्य किसी के प्रति पक्षपाती नहीं होगा और देश के प्रत्येक नागरिक को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुलभ […]
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