तुलसीदास के राम कहते हैं… तुलसीदास जी ने रामचंद्र जी के मुख से ‘परशुराम-राम संवाद’ के समय कहलवाया है :- छत्रिय तनु धरि समर सकाना, कुल कलंकु तेहिं पावर आना, कहऊं सुभाऊ न कुलहि प्रसंसी, क ालहु डरहिं न रन रघुबंसी अर्थात क्षत्रिय का शरीर धरकर जो युद्घ में डर गया, उस नीच ने अपने […]
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कवि की कविता की विशेषता कवि क्रान्तदर्शी होता है। कवि की कल्पना व्योम को भी पार कर जाती है और पत्थर को भी तोड़ जाती है। यह देखा जाता है कि जिस बात को सुनकर कोई व्यक्ति क्रोधित हो सकता है, वही व्यक्ति गद्य में उस बात को जब पद्यात्मक शैली में सुनता है, तो […]
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राम कथा का गायक- तुलसीदास
डा. इन्द्रा देवीतुलसीदास हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि हैं। उनका अमर महाकाव्य रामचरित मानस भारतीय साहित्य ही नही अपितु विश्व साहित्य की सर्वोत्तम रचनाओं में से एक है। तुलसी हिन्दू धर्म के अत्यन्त प्रिय कवि है विद्वानों से लेकर साधारण जन तक में उनका प्रचार और महत्व है। वे पांडित्य, कवित्व, सामाजिक चेतना और अपनी […]