1962 में देश चीन के हाथों परास्त हुआ। तब हमारे तत्कालीन नेतृत्व ने अपनी भूलों पर प्रायश्चित किया और सारे देश को यह गीत गाकर रोने के लिए बाध्य किया-‘ऐ मेरे वतन के लोगो, जरा आंख में भर लो पानी।’….हम अपने उन शहीदों की पावन शहादत पर रो रहे थे-जिनके हाथों से बंदूक छीनकर हमने […]
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व्यक्ति का मौलिक चिंतन उसके व्यक्तित्व का निर्माण करता है। मौलिक चिंतन जितना ही पवित्र, निर्मल, छल-कपट रहित और सार्वजनीन होता है, उसमें उतना ही सर्व-समावेशी भाव अंतर्निहित होता है, और वह मानवता के लिए उतना ही उपयोगी होता है। ऐसा व्यक्ति संसार के लिए उपयोगी और बहुमूल्य होता है और यह विश्व उसका ‘भूसुर’ […]