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चमचे चुगलखोर-भाग-पांच

सीधे सच्चे अधिकारी को, मारग से भटकाता है।चमचागिरी करके प्यारे, बैस्ट अवार्ड को पाता है। गली गांव शहरों में, हो रहा तेरी कला का शोर।जय हो चमचे चुगलखोर। संविधान निर्माता भूल गये, कोटा नियत करना।फिर भी छूट तू ले गया प्यारे, बिन कोटा माल को चरना। बनते रहें कानून चाहे जितने, तुझको क्या परवाह?तेरी निकासी […]

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चमचे चुगलखोर-भाग-चार

तेरी काली करतूतों से तो, भरा पड़ा इतिहास।मंथरा दासी बनके राम को, दिलवाया बनवास। तू ही तो घाती जयचंद था, गोरी को दिया विश्वास।डच, यूनानी, गोरे आये, जिनका रहा तू खास। तुझको तो हत्या से काम, बूढा हो चाहे किशोर।जय हो चमचे चुगलखोर। घर दफ्तर विद्यालय, चाहे बैठा हो मंदिर में।किंतु कतरनी चलती रहती, तेरे […]

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