एक संत का सदुपदेश और हमारी स्वराज्य साधना एक संत प्रवचन कर रहे थे। प्रवचन के समय एक जिज्ञासु ने एक जिज्ञासा व्यक्त करते हुए संत से प्रश्न किया-‘मेरी ध्यान में रूचि क्यों नही होती?’ संत बोले, -‘ध्यान में रूचि तब आएगी जब व्यग्रता से उसकी आवश्यकता अनुभव करोगे।’ तब उन्होंने एक प्रसंग सुनाया कि […]
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वजीद खान की बढ़ गयी चिंता वजीद खान ने गुरू गोबिन्दसिंह के पुत्रों को समाप्त तो करा दिया था पर वह भी भलीभांति जानता था कि उसके किये हुए ‘पापकृत्य’ का दण्ड उसे अवश्य भोगना पड़ेगा। वैसे भी सत्य के लिए दिया गया बलिदान रक्तबीज का कार्य किया करता है। वह जैसे ही धरती से […]