गीता के दूसरे अध्याय का सार और संसार गीता और शहादत अपनी मजहबी मान्यताओं को संसार पर बलात् थोपने वाले जिहादियों को लालच दिया गया है कि यदि ऐसा करते-करते तुम मृत्यु को प्राप्त हो जाते हो तो तुम शहीद कहे जाओगे। जबकि श्रीकृष्ण जी अर्जुन से इसके ठीक विपरीत बात कह रहे हैं। गीताकार […]
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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-11 गीता के दूसरे अध्याय का सार और संसार आजकल पैसा कैसे कमाया जाए और कैसे बचाया जाए?-सारा ध्यान इसी पर केन्द्रित है। आय के सारे साधन चोरी के बना लिये गये हैं, जिससे व्यक्ति उन्हें किसी को बता नहीं सकता, इसलिए उनकी मार को चुप-चुप झेलता रहता […]
गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-10 गीता के दूसरे अध्याय का सार और संसार हमारे देश में लोगों की मान्यता रही है कि शत्रु वह है जो समाज की और राष्ट्र की व्यवस्था को बाधित करता है। ऐसा व्यक्ति ही अधर्मी माना गया है। धर्म विरूद्घ आचरण करने वाला व्यक्ति समाज, राष्ट्र और […]
गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-9 गीता के दूसरे अध्याय का सार और संसार अर्जुन समझता था कि दुर्योधन और उसके भाई, उसका मित्र कर्ण और उसका मामा शकुनि युद्घ क्षेत्र में उसके हाथों मारे जा सकते हैं, इसके लिए तो वह मानसिक रूप से पहले से ही तैयार था। वह यह भी […]
गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-8 गीता का पहला अध्याय और विश्व समाज गीता के विषय के संक्षिप्त या विस्तृत होने की सभी शंका आशंकाओं, सम्भावना और असम्भावना के रहते भी गीता का पहला अध्याय गीताकार के उच्च बौद्घिक चिन्तन और विश्व समाज के प्रति भारत की जिम्मेदारियों को स्पष्ट करता है। गीताकार […]
इसके पश्चात सफेद घोड़ों से जुते हुए विशाल रथ में बैठे हुए श्रीकृष्ण और अर्जुन ने भी अपने दिव्य शंख बजाये, जिससे कि सभी को यह सूचना मिल जाए कि यदि कौरव युद्घ का शंखनाद कर चुके हैं तो पाण्डव भी अब युद्घ के लिए तैयार हैं। संजय धृतराष्ट्र को बता रहे हैं कि कृष्ण […]
गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-6 वैदिक गीता-सार सत्य गीता ज्ञान व्यक्ति को भी परिमार्जित करता है और समाज को भी परिमार्जित करता है। उसका परिमार्जनवाद उसे हर व्यक्ति के लिए उपयोगी और संग्रहणीय बनाता है। अपने इस प्रकार के गुणों के कारण ही गीता सम्पूर्ण संसार का मार्गदर्शन हजारों वर्षों से करती […]
गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-5 वैदिक गीता-सार सत्य हम अपनों को अपना मानकर उधर से किसी हमला की या विश्वासघात की अपेक्षा नहीं करते। अपनों की ओर से हम पीठ फेरकर खड़े हो जाते हैं। यह मानकर कि इधर से तो मैं पूर्णत: सुरक्षित हूं। कुछ समय बाद पता चलता है कि […]
गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-2 वैदिक गीता-सार सत्य गीता की उपयोगिता इसलिए भी है कि यह ग्रन्थ हमें अपना कार्य कत्र्तव्य भाव से प्रेरित होकर करते जाने की शिक्षा देती है। गीता का निष्काम-भाव सम्पूर्ण संसार को आज भी दु:खों से मुक्ति दिला सकता है। परन्तु जिन लोगों ने गीता ज्ञान को […]
गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-4 वैदिक गीता-सार सत्य डा. देसाई को अपने लक्ष्य की खोज थी और वह अपने लक्ष्य पर पहुंच भी गये थे, परन्तु अभी वास्तविक लक्ष्य (पण्डा और राजा से मिलना) कुछ दूर था। उन्होंने अपने साथ एक मुसलमान पथप्रदर्शक रख लिया था। यह पथप्रदर्शक वहां के लोगों को […]