गांधीजी का कहना था कि- ”अगर पाकिस्तान बनेगा तो मेरी लाश पर बनेगा” परंतु यह उनके जीते जी ही बन गया। हां! ये अलग बात है कि वह उनकी लाश पर न बनकर देश के असंख्य लोगों की लाशों पर बना। क्या ही अच्छा होता कि यदि वह केवल उनकी ही लाश पर बनता तो […]
टैग: गांधी
महात्मा की अपेक्षाएं महात्मा तो वह होता है जिसकी आत्मा संसार के महत्व को समझकर विषमताओं, प्रतिकूलताओं और आवेश के क्षणों में भी जनसाधारण के प्रति असमानता का व्यवहार न करते हुए समभाव का ही प्रदर्शन करती है, किंतु जिसका व्यवहार हठीला हो, दुराग्रही हो, सच को सच न कह सकता हो, इसलिए एक पक्ष […]
गांधीजी के नैतिक मूल्यों ने इन समस्याओं को और उलझा दिया। आज परिणाम हम देख रहे हैं कि मानव-मानव से जुड़ा नहीं है, अपितु पृथक हुआ है। आज मानव दानव बन गया है। संप्रदाय आदि के झगड़े राष्ट्र में शैतान की आंत की भांति बढ़े हैं। क्योंकि हमने मजहब संप्रदाय, वर्ग, पंथ, भाषा, जाति आदि […]
गांधीजी की धर्मनिरपेक्षता गांधीजी की धर्मनिरपेक्षता को गांधीवाद का एक महान लक्षण बताकर महिमामंडित किया गया है। हिंदू उत्पीडऩ, हिंदू दमन, हिन्दू का शोषण और विपरीत मजहब वालों का तुष्टिकरण गांधीवाद में धर्मनिरपेक्षता की यही परिभाषा है। इस पर हम पूर्व लेखों में पर्याप्त प्रकाश डाल चुके हैं। अपनी इसी धर्मनिरपेक्षता के कारण गांधीजी ने […]
(पाठकवृन्द! इससे पूर्व इस लेखमाला के आप 5 खण्ड पढ़ चुके हैं, त्रुटिवश उन लेखमालाओं पर क्रम संख्या नहीं डाली गयी थी। इस 6वीं लेखमाला का अंक आपके कर कमलों में सादर समर्पित है।) गांधीजी की सिद्घांत के प्रति यह मतान्धता थी, जिद थी, और उदारता की अति थी। लोकतंत्र उदारता का समर्थक तो है […]
इस घटना से जो उत्तेजना फैली उससे एक दिन मालेर कोटला के महल को कूकों के द्वारा घेर लिया गया और जमकर संघर्ष हुआ। परिणाम स्वरूप 68 व्यक्ति मालेर कोटला के डिप्टी कमिश्नर ‘मिस्टर कॉवन’ ने पकड़ लिये और अगले दिन उनमें से 49 लोग तोप के मुंह से बांधकर उड़ा दिये गये तथा पचासवां […]
दयाशंकर वाजपेयी (मोहनदास कर्मचन्द गांधी जिन्हें देश बड़े सम्मान के साथ बापू या राष्ट्रपिता भी कहता है, वह यद्यपि हिंदू धर्म के अनुयायी थे और गीता का नियमित पाठ भी करते थे, उन्होंने गौ हत्या निषेध के लिए एकबार यह भी कहा था कि वह आजाद भारत में सबसे पहला काम गौ हत्या निषेध का […]
Click Here
Click Here
Click Here