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“काव्य-मुक्तक”

हमेशा दर्द ही लाते हैं अब तो द्वार के कागज,नहीं खुशियाँ दिखाते हैं हमें संचार के कागज,पढूँ हिंदी या अँग्रेजी में मैं किस्सा किसानों का,भरे हैं मौत की खबरों से सब अखबार के कागज, जो सावन की बौछारों से अपना घरबार बचाता है,जो शीतलहर की रातों में जा खेतों में सो जाता है,उसके घर के […]

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