जीवन निर्वाह की दो-तीन धाराएँ हैं जिन पर चलते हुए हम पूरी जिंदगी गुजार दिया करते हैं। एक वे हैं जो अपने हुनर और दक्षता के अनुरूप कर्मयोग में रमे रहते हैं और हर घटना-दुर्घटना और हलचल को भगवान का प्रसाद मानकर चलते हैं। दूसरी किस्मों के लोग जो कुछ कर रहे हैं वह सभी […]