उगता भारत चिंतनचली आ रही थी जनता। चारों दिशाओं से, बल्कि दशों दिखाओं से चली आ रही थी। तांगों के पीछे तांगे, बैलगाडिय़ों के पीछे बैलगाडिय़ां। कारों में। ट्रकों में। रेलगाडिय़ों से, बसों से। लोग छतों पर बैठकर आये। खिड़कियों से लटककर आए। साइकिलों पर आए और पैदल भी। दूर देहात के ऐसे लोग भी […]
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