(कविता) अविनाश वाचस्पति नाउम्मीदी में खुशियों की ईद है जो कल गई है वापिस वो दीवाली है मन में मिलने की हरियाली है सबसे प्यारे हैं इंतजार के क्षण जल्दी भंग नहीं होते, भंगर नहीं होते इंतजार में होता है सुकून जब होता है सुकून तब और कुछ नहीं होता न होती है चिंता नहीं […]