बिखरे मोती-भाग 94 गतांक से आगे….बंूद एक ही इत्र की,फोहे को महकाय।दिव्य गुण की प्रधानता,मनुज से देव बनाय ।। 917 ।। व्याख्या :दिव्य गुण अर्थात ईश्वरीय गुण। ये आत्मिक ऐश्वर्य के मूलतत्व भी कहलाते हैं। इन्हीं के कारण व्यक्ति के तेज और यश में वृद्घि होती है। ये ईश्वरीय गुण अग्रलिखित हैं जैसे-ज्ञान (विवेक अथवा […]
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