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भारतीय संस्कृति

ईश्वर व जीवात्मा के यथार्थ ज्ञान में आधुनिक विज्ञान भ्रमित है।

आज का युग विज्ञान का युग है। विज्ञान ने मनुष्य का जीवन जहां आसान व सुविधाओं से पूर्ण बनाया है वहां अनेक समस्यायें एवं सामाजिक विषमतायें आदि भी उत्पन्न हुई हैं। विज्ञान व ज्ञान से युक्त मनुष्यों से अपेक्षा की जाती है कि वह जिस बात को जितना जाने उतना कहें और जहां उनकी पहुंच […]

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आधुनिक विज्ञान से-भाग-आठ

सबसे सस्ता आज जहां में, बिकता है ईमान।तू सर्वेसर्वा मानता नेचर, कहता क्या होता भगवान?अरे ओ आधुनिक विज्ञान! अरे ओ मतवाले विज्ञान, किये तूने कितने आविष्कार?किंतु आज भी वंचित क्यों है, सुख शांति से संसार? अंतिम दम तक आइनस्टाईन, करता रहा पुकार।श्रेष्ठ पुरूषों के बिन नही होगा, सुख शांति का संसार। अत: समय रहते तू […]

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आधुनिक विज्ञान से-भाग-सात

हिरोशिमा नागासाकी में, कोप की देखी थी दृष्टि।तुझे यौवन में मदहोश देख, आज कांप रही सारी सृष्टि। मानता हूं कोप तेरे से, हर जर्रा मिट जाएगा।किंतु अपने हाथों तू, आप ही मिट जाएगा। क्या कभी किसी को मिल पाएंगे, जीवन के कहीं निशान?अरे ओ आधुनिक विज्ञान! तेरी चमक -दमक में उड़ गये, जीवन के वे […]

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आधुनिक विज्ञान से-भाग-छह

रहने दे खूनी पंजों को, इस भू तक सीमित रहने दे।अन्यत्र यदि कहीं जीवन है, उसको तो सुख से रहने दे। दाग लगा तेरे दामन में, हिंसा और विनाश का।श्रेय नही, अब हेय हो रहा, तू साधन था विकास का। परमाणु युद्घ ही नही, आज स्टार वार की चर्चा है।तेरे इन खूनी पंजों पर, हो […]

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आधुनिक विज्ञान से-भाग-पांच

राज है आतंक का, और शांति है लोप क्यों? तेरे ही विकास पर है, तेरा क्रूर कोप क्यों? रूह कांपती मानवता की, उसको है संताप क्यों?सुना था वरदान तू है, बन गया अभिशाप क्यों? अणु और परमाणु बम के, बढ़ रहे हैं ढेर क्यों?घातक अस्त्रों का विक्रय कर, मानव बना कुबेर क्यों? क्या ये व्यवस्था […]

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आधुनिक विज्ञान से-भाग-चार

वाद और व्यवस्था बदली, भूखे, नंगे लोग क्यों?मानसिक और शारीरिक, पहले से ज्यादा रोग क्यों? शोषण भ्रष्टाचार आज, विश्व में समाया क्यों?तेरे होते हुए बता, मत्स्यराज आया क्यों? भौतिक सुख समृद्घि पाकर, मानव है अशांत क्यों?भय तनाव संशय आदि से, विश्व है दिग्भ्रांत क्यों? मानव ही मानव से, आज इतना क्रुद्घ क्यों?तेरे होते हुए बता, […]

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